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न उसी से पूछ लें? वह बेवकूफ नहीं है, या कम से कम मैं तो उसे बेवकूफ नहीं समझती।

      “तुम आज की शाम क्या खाना चाहते हो, हेंग, सूअर या मुर्ग?”

      उसने कुछ पल उसकी ओर देखा, फिर कहा:

      “बच्चा…..”

      “कौन सा? जो भी हो, हेंग, तुम बच्चों को नहीं खा सकते….यह ठीक नहीं होगा।”

      “हमारे बच्चे नहीं….. बकरी के बच्चे….. हमारे पास कुछ हैं या नहीं?” हेंग ने कहा।

      “हाँ, हमारे पास अभी भी कुछ हैं, लेकिन मुझे लगा कि हम उन्हें रेवड़ में शामिल करने वाले हैं।”

      “केवल एक बच्चा।”

      “हाँ, अच्छा, ठीक है, हेंग, यह देखते हुए कि तुम बीमार हो, मैं आज रात तुम्हारे लिए मेमने के चॉप पका दूँगी और बाक़ी हम सब के लिए थोड़ा सा सूअर।”

      “मुझे मेरा वाला अधपका चाहिए, भुना हुआ, रसेदार नहीं, वान। आज मुझे थोड़े मांस, असली लाल मांस के लिए लालसा जग रही है।”

      यह जान कर कि उनके पिता अभी उन्हें खाने का इरादा नहीं रखते, बच्चों को बड़ी राहत पहुंची।

      जब ऐसा लग रहा था कि हेंग अपने रात के खाने के इंतज़ार में सो गया है, डेन ने अपनी माँ से पूछा कि क्या उसे लगता है कि वह एक न एक दिन उन्हें खाना चाहेगा।

      “ओह, मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए, डेन, अगर हम उनकी भूख को संतुष्ट करते रहेंगे तो नहीं, न ही हम जानते हैं कि अभी तक वे क्या हैं।”

      “बुआ डा, आप हेंग की स्थिति के बारे में क्या सोचती हैं?”

      “मुझे लगता है कि यह बहुत दिलचस्प है…… सच में बहुत ही दिलचस्प। तुमने कल देखा होगा, हेंग मौत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था, लेकिन अब वह हर घंटा अधिक सक्रिय होता जा रहा है, हालांकि वह वही हेंग नहीं दिख रहा है, जिसे हम सब इतनी अच्छा तरह जानते और इतना प्यार करते थे।”

      “हमें देखना पड़ेगा कि यह नया हेंग किस तरह बदला है या हो सकता है कि जब वह अपनी नई खूराक का आदी हो जाए और समय के साथ ठीक हो जाए, जैसा वह बिना अपने शरीर में असली खून के था, तो हमें अपना हेंग वापस मिल जाए।”

      “तुम्हारे अंदाजे उतने

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