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तुम्हें हमारी मच्छरदानी से झाँकती चार आँखें नज़र आयें तो भी भाग जाना।”

      “शर्त लगा लो माँ! मैं अभी जा कर वह खून लाता हूँ। डिन कहाँ है?”

      “पता नहीं, हो सकता है उसने पहले ही काम शुरू कर दिया हो। तुम अपने काम से लगो, और मैं जा कर बुआ डा को मोटरबाइक से ले कर आती हूँ - मुझे लगता है कि हमें तुम्हारे पिता के लिए अब भी थोड़ी सहायता की आवश्यकता है। उन्हें देखने के लिए ऊपर उनके पास जाने से पहले तुम और तुम्हारी बहन मेरे लौटने का इंतज़ार करना, ठीक है?”

      “हाँ, माँ, तुम्हें मुझे दोबारा बताने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अगर वे यहाँ नीचे आ जाते हैं, तो हम क्या करेंगे?”

      “मुझे नहीं लगता कि वे आएंगे…. जब मैं बिस्तर से बाहर आई तो वे बहुत गहरी नींद में सो रहे थे। लेकिन कुछ भी हो, हमें अधिक समय नहीं लगेगा। हालांकि अगर वह उठ जाए, तो उन्हें अपना शुभ प्रभात का चुंबन मत लेने देना।”

      वान दस मिनट के बाद डा के साथ लौट आई, जो हेंग के घर से किसी अवश्यंभावी बुलावे की प्रतीक्षा में अपनी मेज़ पर बैठी थी। जब वे वापस लौटीं तब तक हेंग नीचे नहीं आया था, डिन ने दूध जमा कर लिया था और डेन लगभग तैयार था।

      “ठीक है,” डा ने कहा, “अभी के लिए मैं आधा आधा बकरी का दूध और खून और तुलसी, आधा धनिया और एक चुटकी इसकी सलाह दूँगी। इसे अच्छी तरह हिलाओ और यह तैयार हो जाएगा। उसे आधा लीटर सुबह देना और इतना ही रात को सोते समय देना। अभी के लिए इतना पर्याप्त हो जाना चाहिए। ओह, और उसे कभी भी लहसुन मत देना, यह पिशाचों के लिए बहुत बुरा होता है! अब हमें ऊपर चल कर उसको देखना चाहिए।”

      “हम ऊपर जाएँ, इससे पहले, बुआ डा, मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत है कि वह पिछली पूरी रात बिस्तर पर ज्यादातर समय सीधा बैठा था, उसकी सफ़ेद त्वचा और लाल पुतलियों वाली गुलाबी आँखें अंधेरे में एक प्रकाश स्तम्भ की तरह जगमगा रही थीं। ओह, और जब उसने हमसे बात की! हे मेरे बुद्ध! मैं ने ऐसा कभी कुछ नहीं सुना। उसने कहा ‘शुभ संध्या, परिवार’

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