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आवाज़ के साथ, एक दूसरे पर गरजते और गुर्राते हुए, ठीक उसके पीछे धरती पर गिरीं। वह स्क्रैपी पर झुकी रही, जो अब भी काँप रहा था और धीमे-धीमे रिरिया रहा था, और उन जानवरों की ओर देखने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, जो उससे कुछ ही दूरी पर लड़ रहे थे।

      टबाथा हिलने से भी डर रही थी और वह कुत्ते को जितना हो सकता था उतने ज़ोर से पकड़े थी। उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह स्क्रैपी से फुसफुसाने लगी कि अगर बिल्लियों में से कोई उसे भी पकड़ ले तो वह भाग जाए और मदद लाए। उसने अपनी पीठ पर किसी गीली और गरम चीज़ की फुहार महसूस की लेकिन वह फिर भी नहीं हिली। अंततः लड़ाई समाप्त हो गई और उसे अपने कंधे के पीछे देखने का एक मौका मिला।

      जब उसने अपने पीछे खून से सने हुए दो आदमियों को पड़े पाया तो वह काँपने और रोने लगी। टबाथा अपने कुत्ते को बाँहों में उठाए, धीरे से अपने घुटनों के बल उठी और वापस जाने लगी। कूगर और तेंदुआ कहाँ चले गए? क्या उन्होंने इन दोनों आदमियों पर हमला किया और फिर भाग गए? उन आदमियों ने कोई कपड़े क्यों नहीं पहने हुए थे?

      अचानक नथानियल ने अपनी आँखें खोलीं और अपने नुकीले दांतों से उसे डराया।

      टबाथा पीछे की ओर ठोकर खा कर गिरने को हुई, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। जब वह आदमी कूगर की तरह गुर्राया तो कुत्ता फिर से किकियाया और टैबी की बाहों से निकलने के लिए छटपटाने लगा। वह डर के मारे चिल्लाते हुए जंगल में भाग गया।

      मलाची ने झटका खाया, क्योंकि उसके सीने से खून बह रहा था। उसने अपना मुंह खोला और गुर्राहट में छोटी लड़की से एक शब्द बोला।

      "भागो!" जैगुआर की कानों को फाड़ देने वाली एक चीख के साथ उसकी आवाज़ खामोश हो गई।

      टबाथा ने आज्ञा का पालन करने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। वह अपनी एड़ियों पर घूमी और बिना पीछे देखे मैदान से भागना आरंभ कर दिया। उसको ज़रा भी परवाह नहीं थी कि वह कहाँ जा रही है; उसे केवल इतना पता

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