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मैं यहाँ पिछवाड़े में हूँ।”

      ली ने कुछ पल उसके टॉइलेट से बाहर आने का इंतज़ार किया लेकिन घर के अंदर गर्मी और उमस थी, तो वह वापस बाहर के आँगन में आ गया और अपनी घास की छत वाली बड़ी सी पारिवारिक मेज़ पर बैठ गया, जहां पूरा परिवार खाना खाता था, और फुर्सत के समय बैठा करता था।

      श्रीमती ली का असल नाम वान था, हालांकि उसका पति प्यार से उसे मॅड बुलाता था, जब से उसके बड़े बेटे ने उसे ऐसे बुलाया था, और यह नाम श्री ली की ज़ुबान पर चढ़ गया था, लेकिन उनके किसी बच्चे की ज़ुबान पर नहीं। वह बान नोई गाँव से आई थी, जहां से ली खुद भी था, लेकिन उसका परिवार और कहीं से नहीं था, जबकि मिस्टर ली का परिवार दो पीढ़ियों पहले चीन से आया था, हालांकि वह घरेलू शहर भी यहाँ से अधिक दूर नहीं था।

      वह बिलकुल क्षेत्र की औरतों की जैसी थी। अपने दिनों में वह बहुत प्यारी लड़की थी, लेकिन उन दिनों लड़कियों को अधिक अवसर नहीं दिये जाते थे और न वे महत्वाकांक्षी होने की हिम्मत कर सकती थीं, न यह चीज़ बीस सालों बाद भी उसकी बेटी के बारे में अधिक बदली थी। श्रीमती ली ने स्कूल छोड़ने पर एक पति की तलाश की थी, इसलिए जब हेंग ली ने उसका हाथ मांगा था और उसके माता-पिता को अपने बैंक में मौजूद मुआवजे के पैसे दिखाए थे, तो उसने सोचा था कि वह किसी अन्य स्थानीय लड़के की तरह ही एक अच्छा रिश्ता है, जिनके उसे मिलने की संभावना थी। न तो उसे अपने दायरे को बढ़ाने के लिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भाग कर किसी बड़े शहर जाने की इच्छा थी।

      वह भी अपने तरीके से हेंग ली से प्यार करने लगी थी, हालाँकि उसके छोटे से प्रेम जीवन में से गर्माहट काफी पहले ही विदा हो चुकी थी, और वह अपनी पारिवारिक कंपनी में पत्नी की तुलना में अब एक बिज़नेस पार्टनर के रूप में अधिक थी, जो उनके आपसी जीवन और उनके दो बच्चों के लिए समर्पित थी।

      वान का कभी कोई प्रेमी नहीं था, हालांकि

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