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आवाज़ बढ़ा दी और छत की तरफ घूरता रहा, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

      ज्यूलिया, जिसे थकान की बजाय अपने बेटे से उस बहस ने ज्यादा निढाल कर दिया था, उसने आखिरकार अपनी बेटी गाइया के साथ मिल कर सामान ऊपर लाने का काम खत्म किया। जब वह अपने पाँच मंज़िला मकान की सीढ़ियाँ चढ़ रही थी, जहां लिफ्ट हर दूसरे दिन खराब हो जाती थी (और विडंबना यह थी कि हर बार जब उसे किराने का सामान ऊपर लाना होता था, यह हमेशा खराब ही होती थी), वह एलियो के बारे में सोचती रही। गियालिंगुआ, जिस इलाके में वे रहते थे, उसके आसपास के अन्य सभी परिषद इलाकों की तरह इस इमारत को भी सफेद और नारंगी रंग में रंगा गया था। उस एस्टेट में, जो बीस फ्लैटों में विभाजित थी, जिनका सामने का हिस्सा इमारत के विपरीत किनारों पर था, उनमें बीस परिवार रहते थे।

      “यह आखिरी बार है, जो तुम ने ऐसा किया है!” वह रसोई से उस पर चिल्लाई। “तुम्हारे पिता घर आएँ, उससे पहले हम यह काम खत्म करेंगे!”

      एलियो उसे सुन ही नहीं रहा था, वह बस उस नीरस संगीत में डूबा हुआ था। कोई भी चीज़ उसे ऊब और मानसिक उन्माद की उस भावना से निकाल नहीं सकता था, जिससे वह घिरा हुआ था। उसकी नीरस दुनिया उसके लिए एक शरणस्थल थी। यह उसका व्यक्तित्व था और दुनिया को उससे ऊपर उठना होगा।

      गाइया बिलकुल अलग थी: वह पंद्रह साल की चमकीली आँखों और छोटे काले बालों वाली लड़की थी। अपनी सारी रुचियों को पूरा करने के लिए चौबीस घंटे उसके लिए कम पड़ते थे।

      ज्यूलिया भी एक सक्रिय औरत थी। लेकिन अपनी बेटी के उलट उसके बाल सुनहरे और घुँघराले थे, वह थोड़ी भारी थी लेकिन फुर्तीली और दृढ़ संकल्प थी। वह बयालीस वर्षीय पारंपरिक माँ थी: वह हमेशा समय के साथ भागते हुए, काम और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखती थी।

      यह रात के खाने का समय था। हालांकि एलियो के कमरे से कोई शोर नहीं सुनाई दे रहा था। दरअसल जबसे वह अपने बिस्तर पर गया था, और उसने अपने हेडफोन पहने थे, तब से वह हिला तक नहीं था।

      उसने मुख्य द्वार के ताले

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